Monday, September 24, 2018

रणवीर के साथ काम बेहतरीन अनुभव : कृति

मुंबई (एजेंसियां): अभिनेत्री कृति खरबंदा का कहना है कि रणवीर सिंह के साथ काम करना उनके लिये बेहतरीन अनुभव रहा है। कृति खरबंदा की हाल ही में फिल्म ‘यमला पगला दीवाना : फिर से ‘रिलीज़ हुई थी जो बॉक्स ऑफिस पर खास कमाल नहीं दिखा सकी। इसके पहले कृति खरबंदा ने ‘शादी में ज़रूर आना’ और ‘गेस्ट इन लंदन’ में काम किया था। कृति इन दिनों साजिद नाडियाडवाला की फिल्म ‘हाउसफुल-4’ में काम कर रही हैं।
कृति खरबंदा अब रणवीर सिंह के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर करती दिखेंगी। कृति विज्ञापन फिल्म में रणवीर के साथ नजर आयेंगी। कृति और रणवीर जल्द ही एक पेंट बनाने वाली कंपनी के विज्ञापन में साथ नज़र आएंगे।जाते-जाते मानसून ने हिमाचल समेत कुछ अन्य राज्यों में जो उग्र तेवर दिखाये हैं, उसने जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। हिमाचल के दस जिले बाढ़ की चपेट में हैं। कई जगह बादल फटने, लोगों के बहने, मवेशियों के डूबने तथा बस-ट्रक बहने के दृश्य रोंगटे खड़े करते रहे हैं। उफनती नदियां, दरकते पहाड़ और बेमौसमी बर्फबारी ने पहाड़ों में विकास के नजरिये को भी बदलने की नसीहत दी है। पश्चिमी विक्षोभ से मौसम में आये बदलाव के चलते ठंड ने समय से पहले दस्तक दे दी है, जो फसलों व फलों की पैदावार के लिए खासी नुकसानदायक है। वैसे तो शासन-प्रशासन व एनडीआरएफ की टीमें राहत तथा बचाव के कार्यों में जुटी हैं मगर पहाड़ों की भौगोलिक स्थिति के चलते मनुष्य कुदरत के रौद्र रूप के सामने लाचार ही नजर आता है। कहीं न कहीं भारत ही नहीं पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग का नकारात्मक असर नजर आने लगा है। बेमौसम बारिश, बारिश की तीव्रता, बाढ़, भूस्खलन, बादल फटने, सूखा व जंगलों में आग जैसी घटनाएं आम हो गई हैं, जो मानवीय हस्तक्षेप से उत्पन्न पर्यावरणीय असंतुलन की ओर इशारा करती हैं।
नि:संदेह ऐसे हालात में जरूरी है कि आपदा प्रबंधन की दिशा में विस्तार व विकास को प्राथमिकता दी जाये। दरअसल, ये तमाम प्राकृतिक आपदाएं मौसम के अनुरूप न होकर वर्षपर्यंत चलती रहती हैं। एेसे में आपदा प्रबंधन को नये सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है।  इसमें जितनी भूमिका सरकार की हो सकती है, उतनी भूमिका समाज की भी है। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। आपदा प्रबंधन को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। सरकार हर व्यक्ति की मदद नहीं कर सकती। जैसा कि पिछले दिनों केरल में एनडीआरएफ व प्रशासन के साथ तमाम सामाजिक संगठनों और आम लोगों ने रचनात्मक भूमिका निभाई। ये आपदायें वैश्विक समस्या है अत: इसके नियंत्रण के लिए विश्व के उन्नत ज्ञान को हासिल करके आपदा प्रबंधन को और कारगर बनाया जाना चाहिए। बचाव, सुरक्षा व प्रबंधन के साथ स्कूली छात्र-छात्राओं को ऐसी चुनौतियों के मुकाबले के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाये। जैसा कि जापान के स्कूल में बच्चों को भूकंप से मुकाबले का प्रशिक्षण दिया जाता है। सही मायनों में हर नागरिक आने वाले समय में ऐसी चुनौतियों का मुकाबला बिना भयभीत हुए करे, उसे इसके लिये मानसिक रूप से तैयार किया जाना चाहिए। तकनीकी कौशल, आधुनिक उपकरणों तथा विशेषज्ञ ज्ञान हासिल करके हम चुनौती का मुकाबला कर सकते हैं।रत में प्रति 10 लाख लोगों पर 19 जज हैं। देश में करीब 6 हजार जजों की कमी है। इनमें से करीब 5 हजार जजों की निचली अदालतों में कमी है। कानून मंत्रालय के यह आंकड़े उस दस्तावेज का हिस्सा हैं, जिसे संसद में चर्चा के लिए मार्च में तैयार किया गया था।
दस्तावेज कहता है कि अधीनस्थ अदालतों में 5748 न्यायिक अधिकारियों की कमी है और 24 उच्च न्यायालयों में 406 रिक्तियां हैं। निचली अदालतों में फिलहाल 16,726 न्यायिक अधिकारी हैं, जबकि वहां 22474 न्यायिक अधिकारी होने चाहिए थे। उच्च न्यायालयों में जजों की मान्य संख्या 1079 हैं, जबकि वहां मात्र 673 जज हैं। सुप्रीमकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 31 है और वहां 6 रिक्तियां हैं। ऐसे में, सुप्रीमकोर्ट, उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में जजों के 6160 पद खाली हैं। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल ही में 24 उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से निचली अदालतों में न्यायायिक अधिकारियों की नियुक्ति में तेजी लाने की अपील की थी।
1987 की सिफारिशों पर अमल नहीं
जजों की संख्या और जनसंख्या के अनुपात पर अप्रैल, 2016 में तत्कालीन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने मुकदमों के पहाड़ से निबटने के लिए जजों की संख्या 21 हजार से बढ़ाकर 40 हजार करने में सरकार की निष्क्रियता पर अफसोस प्रकट किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में कहा था कि आप सारा बोझ न्यायपालिका पर नहीं डाल सकते। उन्होंने कहा था कि 1987 में जब विधि आयोग ने प्रति 10 लाख लोगों पर जजों की संख्या 10 से बढ़ाकर 50 करने की सिफारिश की थी, तब से अबतक कुछ भी आगे नहीं बढ़ा है।

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