Tuesday, September 17, 2019

विक्रम लैंडर के साथ क्या हुआ था, बताएगा नासा- प्रेस रिव्यू

आम जनता की सुरक्षा के नाम पर उनके ऊपर सख्त जुर्माने की व्यवस्था बनाई गई. दूसरी ओर नेताओं को सरकारी खर्च पर भारी सुरक्षा मिलती है.
आम जनता की असुविधा के बावजूद, सख्त सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर वीआईपी मूवमेंट के समय पूरी सड़क ही खाली करा ली जाती हैं. परन्तु चुनावों के समय नेता लोग सारे सुरक्षा प्रावधानों को ताक पर रख देते हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की चुनाव प्रचार और रोड शो के दौरान ही हत्या हुई थी, फिर भी भारत के नेता नहीं चेत रहे.
आम चुनावों में प्रियंका और राहु
इंडियन एक्सप्रेस में ही छपी एक और ख़बर के अनुसार नासा की मदद से मंगलवार को ये पता चल सकता है कि इसरो के चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर के साथ क्या हुआ.
अख़बार के अनुसार अमरीकी मीडिया में इस तरह की ख़बरें हैं कि नासा का लूनर रीकॉनिसेंस ऑर्बिटर मंगलवार को उस जगह से ऊपर से गुज़रेगा जहां चांद पर इसरो का विक्रम लैंडर गिरा था और वो इस जगह की तस्वीरें जारी कर सकता है.
अख़बार के अनुसार ऑर्बिटर के उस जगह के ऊपर से गुज़रते वक़्त से पहले और बाद की तस्वीरें नासा साझा करेगा.
गाँधी के रोड शो के दौरान उनके ट्रक का काफिला बिजली के तारों से अटक गया. पिछले महीने रोड-शो में हादसे में, उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष और पूर्व परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के हाथ की उंगली ही कट गई.
दिवंगत अरुण जेटली और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के रोड_शो के दौरान भी हादसे हो चुके हैं. रोड शो के दौरान वीवीआईपी की सुरक्षा में समझौते से, एसपीजी प्रोटोकॉल के साथ मोटर वाहन क़ानून के नियमों का भी उल्लंघन होता है. बड़े नेताओं की जान तो जनता से ज्यादा क़ीमती है, फिर उन्हें नियमों के उल्लंघन की इजाज़त क्यों दी जाती है.
रोड शो और चुनावी रथ के ग़ैरक़ानूनी पहलुओं पर कारवाई के लिए पिछले आम चुनाव के पहले देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशकों को हमने प्रतिवेदन भेजा था, पर पूरे देश में कहीं कोई कार्रवाई नहीं हुई.
बड़े नेताओं की ओर से क़ानूनों की खुलेआम अवहेलना और आम जनता पर हर्जाने का भारी बोझ, असंवैधानिक होने के साथ अलोकतांत्रिक भी है. पूरे देश में सभी दलों के नेताओं ने निजी गाड़ियों में पार्टियों के झंडों के साथ, अपने बायोडेटा का बोर्ड भी लगा रखा है, जो ग़ैरक़ानूनी है.
देश में रूल ऑफ़ लॉ की स्थापना के लिए सत्ताधीशों पर क़ानून को प्रभावी तरीक़े से लागू करने के बाद ही, जनता से क़ानून के अनुपालन की अपेक्षा होनी चाहिए, क्योंकि यथा राजा तथा प्रजा. इसके बाद देश में समानता के साथ सुरक्षा का भी वातावरण बनेगा.
इसी अख़बार में छपी एक ख़बर के अनुसार परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के विकास के लिए कोटा व्यवस्था की ज़रूरत है लेकिन केवल इसकी वजह से किसी का विकास नहीं हो सकता.
एक समारोह में उन्होंने कहा कि रिज़र्वेशन उन्हें दिया जाना चाहिए जो शोषित और पीड़ित हों. दलित हों और आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हों. लेकिन ये सच नहीं है कि कोई समुदाय सिर्फ़ कोटा के दम पर पूरी तरह विकास कर सकेगा.
उन्होंने कहा कि ये सोचना भी ग़लत है जिन समुदायों को रिज़र्वेशन मिला उन्हीं से सबसे अधिक तरक्की की.

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